मृत्यु दंड भारत में सबसे बड़ी सजा है जिसमें गुनाहगार को फांसी पर लटकाकर उसकी मृत्यु हो जाने तक लटकाया जाता है | पर आज के समय में बहुत सारे दल, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता और छात्र नेता मृत्यु दंड को असंवैधानिक बोल कर बंद करने की मांग कर रहे हैं | हाल ही में भारत में कुछ आतकंवादियों जैसे अजमल कसाव, अफजल गुरु, याकुव मेनन आदि को मृत्यु दंड की सजा दी गयी थी | जिसमें तरह तरह की बातें और दलीलें दे कर देश के एक बहुत बड़े बुद्धिजीवी वर्ग, मीडिया, राजनेता और छात्र नेताओं ने उनको गलत सावित करने की कोशिश की | यहाँ तक की याकुव मेनन की फांसी बचाने के लिए बार बार याचिकाएं दायर की गयी और सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही देर रात तक चलाई गयी |

मृत्यु दंड
मृत्यु दंड

जैसा कि बहुत सारे लोग मृत्यु दंड को अमानवीय बताते हैं तो सोचने वाली बात है कि मानव वो होता है जो मानवता का फ़र्ज़ निभाए | एक आतंकवादी को कैसे मानव की श्रेणी में लाया जा सकता है जो बहुत सारे मासूमों को सिर्फ इस बजह से मार देता है कि दूसरे देश में बैठे उसके आका ने उसको गुमराह कर दिया था और आदेश दिया था यहाँ आकर बेक़सूर लोगों को जान से मारने का | साथ में जिसका उद्देश्य सिर्फ भारत की बर्वादी हो |

तो अब बात आती है कि किसी को उसके अपराधों के लिए मृत्यु दंड देना कहाँ तक मानवीय है और यदि मृत्यु दंड खत्म कर दिया जाये तो कैसा होगा ?

वैसे तो किसी को फांसी पर चढाने से वो लोग वापस नहीं आ जाते जिनको उसने असमय काल का ग्रास बना दिया, पर उनकी आत्मा और उनके परिवार के लोगों को जरुर एक सुकून मिलता है कि उनके साथ न्याय हुआ और साथ ही आने वाले नए आतंकियों को एक सन्देश मिलता है कि उनके साथ सख्ती से निपटा जायेगा | परन्तु यही अगर मृत्यु दंड खत्म कर दिया जाये तो आने वाले आतंकी के दिमाग में एक बात रहेगी कि अगर मैं पकड़ा गया तो भी क्या फर्क पड़ता है | सुकून से जिंदगी भर जेल में रहूँगा और ज्यादा सुरक्षित रहूँगा | समय पर खाना मिलेगा और देख रेख भी |

आतंकवादी संगठनों को भी एक बात अच्छे से पता होगी की अगर उसका कोई भी सदस्य या मुखिया भारत सरकार की किसी भी सुरक्षा संस्था द्वारा पकड़ भी लिया जाता है तो वो भी ज्यादा  से ज्यादा उम्रकैद की सजा कटेगा और अगर बीच में वो चाहे तो आसानी से किसी भी तरह के लोगों के अपहरण करके या किसी जगह बम धमाका करने की धमकी या किसी और तरह से उसको छुडवा भी सकते हैं |

कुल मिला कर देखा जाये तो मृत्यु दंड खत्म करना देश में आतकंवादियों को न्योता देने के बराबर है | कि आप चाहे हमारे पूरे देश की शांति को ही भंग क्यों न कर दें फिर भी हम आपको उसकी सजा सिर्फ उम्रकैद ही देंगे | जहाँ तक मेरी समझ है ये देश को अन्दर से खत्म करने की एक नयी चाल है | जिसमें लोग बाबा साहेब, दलितों का भला और ब्राह्मण सवर्णों द्वारा किये गए जातिगत भेदभाव की बातें करके लोगों को बहकाना चाहते हैं | ये तो मैं नहीं जानता कि सिर्फ मानवता के नाम पर ही ये बुद्दी जीवी वर्ग, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र नेता मृत्यु दंड का विरोध कर रहे हैं या इन्हें भारत के दुश्मन मुल्कों से वित्तीय सहायता, पद का लालच या कुछ और प्रलोभन दिए जा रहे हैं | परन्तु इतना तो मैं कह सकता हूँ कि

मृत्यु दंड खत्म करना देश को मृत्यु दंड देने के समान है

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