जब देश की जनता का पेट भरने के लिए अनाज पर्याप्त मात्रा में नहीं था और देश के जवान सीमा पर चीन और पाकिस्तान की गोलियां सीने में खाकर भी देश की जनता की रक्षा कर रहे थे तब लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था “जय जवान – जय किसान” |
जब जब देश की सुरक्षा पर खतरा आया हमारे जवानों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाव दिया है | फिर चाहे बात कारगिल की हो या मुम्बई की | देशवासियों ने भी तहे दिल से शहीदों की कुर्वानी को सलाम किया है | अन्न के साथ साथ देश के किसानों ने देश की सेना को भरपूर जवान भी दिए | पर देश के अन्नदाता के हालात अच्छे कभी हो पाए नहीं | अच्छे दिन का सपना साठ सालों से अभी अधूरा का आधूरा ही है |
भारत में छ: लाख गाँव हैं और आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर करती है | देश में हरित क्रांति हुई, खाद्द आपूर्ति में आत्म निर्भरता भी आई पर आजादी के पैसठ सालों के बाद भी किसानों की स्तिथि में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है | हमारे देश का अधिकांश भू भाग वर्षा पर निर्भर रहता है | कभी सूखे की मार तो कभी बेमौसम बरसात किसानों को झेलनी पड़ती है | समय पर पर्याप्त मुआवजा मिलता नहीं है और ना ही फसलों के बदले बाजार में उचित भाव मिलते है| इसी का कारण है कि देश में हर वर्ष दूसरों की थाली भरने वाले हजारों किसान अपनी थाली न भर पाने के कारण ख़ुदकुशी कर लेते हैं | तो क्या देश में किसानों के हालात सुधारे नहीं जा सकते ? क्या किसानों को हर वर्ष अपनी जान यूँ ही गवानी पड़ेगी ? किया क्या जा सकता है ? वेशक बहुत कुछ किया जा सकता है |
किसानों के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण कदम जिन पर काम होना बहुत जरूरी है
- सबसे पहले देश में सिंचाई की सुविधयाए बढ़ाने पर ध्यान दिया जाये जिससे किसानों को सिर्फ बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़े | अगर सिंचाई की वयवस्था अच्छी होगी तो डीजल की खपत में भी काफी कमी आएगी |
- जब फसलें बर्वाद होती हैं या सूबे की चपेट में आती हैं तो उचित मुआवजा समय पर मिले इसकी वयवस्था हो | गेहूं की फसल की बर्वादी को लगभग आधा साल होने को है लेकिन अब तक किसानों के पास उसका मुआवजा नहीं पंहुचा | जिससे किसानों ने इस बार डर डर कर गेहूं के बुआई की है |
- प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से ये संभव है कि रसायनों पर सब्सिडी सीधे खतों में पहुचे ताकि इसका सीधा फायदा किसानों को मिले ना कि विचोलियों को |
- फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों का हर साल निर्धारण हो और राष्ट्रीय कृषि बाज़ार की स्थापना हो ताकि किसान अपनी फसलों के बदले उचित दाम कमा सके |
- परम्परागत कृषि और मिश्रित कृषि पर ध्यान दिया जाये और किसानों को इनके फायदों से अवगत करवाया जाये | फसलों को बिमारियों से बचाने के लिए उचित कीटनाशकों की समुचित वयवस्था की जाये |
- राज्य की सरकारों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों के हितों के काम करना होगा | तभी खेतों में फसलें लह लाह सकेंगीं और किसानों के चेहरों पर भी मुस्कान आएगी |
आप बिना टेक्नोलॉजी के तो रह सकते हैं, लेकिन बिना खाने के नहीं | इसलिए अन्नदाता के बारे में सोचने का दाय्तिव जितना सरकार का है उतना आपका भी | यदि आपके पास भी सुझाव हैं तो उन्हें कमेंट के माध्यम से साझा करें |