हाल ही में पठानकोट में हुए आतंकी हमले की चर्चा जोर शोर से है | जहाँ पूरा देश शहीदों को श्रधांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवारों को इस दुःख को सह सकने की शक्ति के लिए दुआ कर रहा है वहीँ राजनेता इस हमले पर राजनीती करने और एक दूसरे को कोसने में लगें है तो सेना तथा सुरक्षा दल सोच विचार करने में लगे हैं कि कैसे आगे होने वाले इस तरह की हमले को रोका जाये और देश के वीर जवानों को इस तरह के हमलों में न गंवाया जाये |
लेकिन यहाँ पर कोई ये नहीं सोचना चाहता की हम कहाँ पीछे हैं ? भारत का सैन्य बल इतना है कि वो चाहे तो अकेले आधी दुनिया जीत आये लेकिन फिर भी हमारे अपने ही ठिकाने इतने सुरक्षित नहीं है कि हम उनपर हमले होने से रोक पायें | जिसका सिर्फ एक ही कारण है सेना के जवानों के पास पर्याप्त तकनीक का ना होना |
एयर बेस की सुरक्षा में पहली कड़ी आती है चारदीवारी की सुरक्षा और चारदीवारी की प्रत्येक जगह से सुरक्षा करना काफी हद तक मनुष्य के लिए संभव नहीं है | क्युकि उसमें कुछ जगह ऐसी भी होती हैं जहाँ पर जवान हमेशा तैनात नहीं किये जा सकते और उन्ही का फायदा ये आतंकी उठाते हैं | ऐसी जगहों की सुरक्षा एक मजबूत “हाई टेक्नोलॉजी फेंस सिक्यूरिटी विथ ऑटोनोमस आर्म्ड रोबोट्स” के जरिये की जा सकती है | जिसकी एक छोटी से रूप रेखा मै यहाँ रखना चाहता हूँ |
फेंस सिक्यूरिटी भी ऐसी जिसमे कम से कम तीन चरण होने चाहिए और तभी ये अभेद बन पायेगी |
चरण 1 :
सबसे पहले सेंसर से लेस एक ऐसे फेंस ( चार दिवारी ) होनी चाहिए जिसमे दिन और रात के हिसाब से अलग अलग सुरक्षा के लेवल हों | जब भी कोई व्यक्ति उस चार दिवारी को पार करने की कोशिश करे तो तुरंत बेस पर उसकी लोकेशन जाये| रात के समय में इस फेंस में हाई वोल्टेज कर्रेंट प्रवाहित करने की भी तकनीक होनी चाहिए जिसे जायदा गंभीर समय के लिए उपयोग किया जा सके | इस तरह की सिक्योर फेंस से हम 30-40 प्रतिशत खतरा कम कर सकते हैं |
चरण 2:
बन्दूक व हथियारों से लेस स्वचालित जमीनी रोबोट (Autonomous Grounded Robots). जी हाँ यदि कोई घुसपैठिया फेंस सिक्यूरिटी से बच कर आगे आ जाता है तो उसको सामना सीधे इन लड़ाकू रोबोट्स से करना होगा जिनको स्वचालित (Autonomous) व मनुष्य चालित ( Human Operated) बनाया जा सकता है | ये रोबोट्स एक ऐसे तकनीक हैं जिनका उपयोग दिन-रात, गर्मी-ठण्ड, सूखा-बरसात यहाँ तक की बम धमकों के बीच भी किया जा सकता है | यह चरण 99.99 फीसदी तक ऐसे हमलों को बिना किसी नुकसान के विफल होने से बचा सकता है |
चरण 3:
यदि ऊपर के चरण से कोई घुसपैठिया बच निकलता जो कि संभव नहीं है लेकिन फिर भी 0.01% माना जा सकता है | तो उसका स्वागत करने के लिए हमारे देश के वीर जवान तब तक अच्छे से तैयार हो चुके होंगे | जो कि उसको बड़ी ही आसानी से या तो गिरफ्तार कर पाएंगे या फिर इस दुनिया से नर्क में भेज देंगें |